मौर्य साम्राज्य


  • नंद वंश के शासकों की कमजोरी और बदनामी बढ़ जाने पर चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य के सहयोग से अंतिम नंद शासक घनानंद को पराजित करके मगध में मौर्य वंश की स्थापना की।
  • ब्राह्मण परंपरा के अनुसार चंद्रगुप्त की माता शूद्र जाति की थी जो नंदों के रनवास में रहती थी।
  • पुरानी बौद्ध परंपरा के अनुसार नेपाल की तराई में से लगे गोरखपुर में मौर्य नामक क्षत्रिय कुल के लोग थे चंद्रगुप्त मौर्य इसी वंश का था।
  • सिंधु नदी के पश्चिम का इलाका सेल्यूकस निकेटर के नियंत्रण में था चंद्रगुप्त से पराजित होने पर सेल्यूकस ने समझौता द्वारा 500 हाथी लेकर पूर्वी अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, सिंधु के पश्चिम का क्षेत्र चंद्रगुप्त को दे दिया।
  • मौर्य साम्राज्य का शासन पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर हो गया इसमें बिहार, बंगाल, पश्चिमी एवं  उत्तर पश्चिमी भारत एवं दक्कन शामिल था। केवल तमिलनाडु एवं पूर्वोत्तर के कुछ भाग शामिल नहीं थे।
  • सेल्यूकस निकेटर ने यूनानी राजदूत मेगास्थनीज को चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा था यह पाटलिपुत्र में रहता था। इसने मौर्य साम्राज्य का विस्तृत विवरण अपनी पुस्तक इंडिका में लिखा।
  • चंद्रगुप्त मौर्य का उत्तराधिकारी बिंदुसार हुआ इसे अमित्रघात के नाम से भी जाना जाता है। यह आजीवक संप्रदाय का अनुयाई था।
  • सीरियन नरेश आंटियोकस ने बिंदुसार के दरबार में अपने राजदूत डाइमेकस को भेजा इसे मेगास्थनीज का उत्तराधिकारी माना जाता है।
  • बिंदुसार के काल में तक्षशिला में दो विद्रोह हुए इनको दबाने के लिए पहले सुशीम इसके बाद अशोक को भेजा।
  • बिंदुसार के बाद उसका पुत्र अशोक 269 ईसा पूर्व में मगध की राजगद्दी पर बैठा। यह मौर्य शासकों में सबसे महान था।
  • बौद्ध परंपरा के अनुसार अशोक अपने आरंभिक जीवन में अत्यंत क्रूर था इसने अपने 99 भाइयों का कत्ल करके राजगद्दी पर बैठा पर बैठा था। लेकिन यह बात किवदंती पर आधारित है गलत भी हो सकती है।
  • अशोक पहला भारतीय शासक हुआ जिसने अपने अभिलेखों के सहारे सीधे अपनी प्रजा को संबोधित किया।
  • अशोक के अभिलेखों को 5 श्रेणियों में बांटा गया है- दीर्घ शिलालेख, लघु शिलालेख, पृथक शिलालेख, दीर्घ स्तंभ लेख, लघु स्तंभ लेख।
  • अशोक का नाम केवल लघु शिलालेख की प्रतियों में मिलता है जो कर्नाटक एवं मध्य प्रदेश में पाई गई है। अन्य अभिलेखों में देवानांपिय पियदसि (देवों का प्यारा) उपाधि मिलती है।
  • अशोक के अभिलेख शिलाओं पर, पत्थर के पालिशदार शीर्षयुक्त स्तंभों पर, गुहा पर, एवं एक स्थान में मिट्टी के कटोरे पर खुदे हुए हैं।
  • अशोक के अभिलेख भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ अफगानिस्तान में भी पाए गए हैं। 
  • अफगानिस्तान में मिले अशोक के अभिलेख ग्रीक एवं अरमायिक लिपि में है, उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान में खरोष्ठी लिपि में तथा शेष भारत में ब्राह्मी लिपि का प्रयोग हुआ है।
  • अशोक के अभिलेख प्राचीन राजमार्गों में अवस्थित है एवं इनसे अशोक के जीवनवृत्त, उसकी नीतियों, एवं राज्य विस्तार की जानकारी मिलती है।

कलिंग युद्ध अशोक पर प्रभाव :-

  • अशोक के गृह एवं विदेश नीति बौद्ध धर्म से प्रेरित है सत्तासीन होने के बाद अशोक ने केवल कलिंग युद्ध लड़ा।
  • अशोक के अनुसार कलिंग युद्ध में 1 लाख लोग मारे गए अनेकों बर्बाद हो गए एवं कईयों को बंदी बना लिया गया, इस युद्ध में हुए नरसंहार से अशोक का ह्रदय दहल उठा।
  • कलिंग युद्ध से ब्राह्मण, पुरोहित एवं बौद्ध भिक्षुओं को कष्ट झेलने पड़े जिससे अशोक को काफी व्यथा  एवं पश्चाताप हुआ।
  • अब अशोक ने दूसरे राज्यों पर भौतिक विजय पाने की नीति को छोड़कर संस्कृतिक विजय की नीति अपनाई अर्थात उसने भेरी घोष की जगह धम्म घोष के नीति का अनुसरण किया।
  • अशोक ने कबायली समुदाय एवं सीमावर्ती राज्यों को अपने आदर्शात्मक विचारों से प्रभावित किया तथा कलिंग के स्वतंत्र राज्यों की प्रजाजनों से कहा गया की राजा को पिता के तुल्य समझ कर उसकी आज्ञा का पालन करें एवं विश्वास करें।
  • अशोक ने अपने अधिकारियों को निर्देश दिए कि उपरोक्त विचारों को  सारी  प्रजा में प्रचारित किया जाए।
  • अशोक ने दूसरे देशों में भी मनुष्यों एवं पशुओं के कल्याण के लिए कदम उठाए तथा पश्चिम एशिया एवं यूनानी राज्यों में अपने शांतिदूत भेजें।
  • बौद्ध परंपरा के अनुसार अशोक ने श्रीलंका एवं मध्य एशिया में बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए धर्म प्रचारक भेजें।
  • इस प्रकार अशोक एक प्रबुद्ध शासक के रूप में प्रचार के द्वारा अपने राजनैतिक प्रभाव के क्षेत्र को बढ़ाया।