मध्य प्रदेश भूगोल

  • भारत के केंद्र में अवस्थित होने के कारण मध्यप्रदेश को जवाहर लाल नेहरू ने ह्रदय प्रदेश की संज्ञा दी।
  • मध्य प्रदेश का अक्षांशीय विस्तार 2106' से 26030' उत्तरी अक्षांश एवं इसका देशांतरीय विस्तार 74059' से 82066' पूर्वी देशांतर है।
  • कर्क रेखा (2305' उत्तरी अक्षांश) मध्य प्रदेश को दो भागों में बांटती है एवं इस रेखा पर प्रदेश के 14 जिले अवस्थित हैं।
  • भारतीय मानक समय रेखा (8205' पूर्वी देशांतर) मध्य प्रदेश के एकमात्र जिला सिंगरौली से गुजरती है।
  • मध्यप्रदेश का क्षेत्रफल 3,08,252 वर्ग किलोमीटर है। जो कि भारत का 9.38% ही है एवं क्षेत्रफल में राजस्थान के बाद दूसरा सबसे बड़ा राज्य है।
  • मध्यप्रदेश की सीमायें पांच राज्यों को स्पर्श करती हैं - उत्तर में उत्तरप्रदेश,पूर्व में छत्तीसगढ़,दक्षिण में महाराष्ट्र, एवं पश्चिम में गुजरात एवं राजस्थान हैं। सबसे ज्यादा सीमा उत्तरप्रदेश से एवं सबसे कम गुजरात से स्पर्श करती है।
मध्यप्रदेश भौगोलिक विभाजन 

  • मध्य प्रदेश को तीन भौगोलिक प्रक्षेत्रों में बांटा गया है - मध्य उच्च प्रदेश,सतपुड़ा मैकल श्रेणी, पूर्वी पठार (बघेलखण्ड पठार)।
  • मध्यप्रदेश में सर्वाधिक विस्तृत मध्य उच्च प्रदेश है जो विभिन्न पठारों से मिलकर बना है।
  • मध्य उच्च प्रदेश के पांच भाग हैं- मालवा का पठार, मध्य भारत का पठार (चम्बल उपआर्द्र प्रदेश), विंध्य पठार (रीवा-पन्ना का पठार), नर्मदा सोन घाटी,बुंदेलखंड का पठार।
  • मालवा का पठार का अक्षांशीय विस्तार 20017' से 2508' उत्तरी अक्षांश एवं देशांतरीय विस्तार 74059' से 79020' पूर्वी देशांतर है।
  • मालवा पठार बेसाल्ट चट्टानों से मिलकर बना है एवं इसका निर्माण क्रिकेटस युग के अंतिम समय में हुआ है ।
  • मालवा पठार की औसत ऊंचाई 500 मीटर है एवं यहाँ की सबसे ऊँची चोटी सिगार (881 मीटर) है, इसके बाद जानापाव एवं छाजारी चोटियां हैं।
  • मालवा पठार की ढाल उत्तरमुखी समतल है एवं मध्य प्रदेश की कुल भूमि का 26.8% है।
  • मध्य भारत का पठार जो चम्बल उप आर्द्र प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है यह उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान से सटा हुआ मध्य प्रदेश का पठारी क्षेत्र है। यह विंध्यन शैल समूह का भाग है एवं चम्बल घाटी इसी क्षेत्र में अवस्थित है। इसका ढाल उत्तर में उत्तर-पूर्व की ओर एवं दक्षिण में दक्षिण-पश्चिम की ओर है।
  • विंध्य पठार या रीवा-पन्ना का पठार विंध्यन कगारी क्षेत्र है जो कर्क रेखा के उत्तर में है। यह पठार कडप्पा एवं विंध्यन शैल समूह से निर्मित हुआ है। इसमें रीवा,पन्ना,सतना,दमोह जिले आते हैं।
  • नर्मदा-सोन घाटी मध्य उच्च प्रदेश के केंद्रीय भाग में स्थित भ्रंश क्षेत्र है। इसका विस्तार उत्तर-पूर्व से लेकर प्रदेश के पश्चिमी भाग तक है। इस भाग में नर्मदा की घाटी अधिक लम्बी एवं चौड़ी है जबकि सोन घाटी सँकरी है।
  • बुंदेलखंड पठार नीस एवं ग्रेनाइट चट्टानों से बना है। यह पठार उत्तर में यमुना के जलोढ़ मैदान, दक्षिण में विंध्याचल, पूर्व में बघेलखण्ड,एवं पश्चिम में मालवा पठार से घिरा हुआ है। इस पठार में लाल-पीली मिटटी पायी जाती है। इस पठार की ढाल उत्तर-पूर्व की ओर है।
  • बुंदेलखंड पठार की सर्वोच्च चोटी सिद्धबाबा है इसकी ऊंचाई 1172 मीटर है।
  • बुंदेलखंड क्षेत्र में तीन पर्वत श्रेणियां मिलती हैं विंध्यन, फौना, एवं भांडेर श्रेणी।
  • सतपुड़ा-मैकल श्रेणी का विस्तार मध्य प्रदेश के दक्षिण-पश्चिम से पूर्व में अमरकंटक तक है। इस श्रेणी के तीन उपविभाजन हैं। पहला राजपीपला श्रेणी जो सतपुड़ा-मैकल का सबसे पश्चिमी भाग है, यह श्रेणी काफी कटी फटी है इसलिए बुरहानपुर जैसे दर्रे यहाँ अवस्थित हैं। राजपीपला के पूर्व में दूसरा भाग मध्य श्रेणी है इसके अंतर्गत ग्वालीगढ़ एवं महादेव श्रेणी हैं। एवं तीसरा भाग सतपुड़ा-मैकल श्रेणी के सबसे पूर्व में मैकल श्रेणी है इसकी आकृति अर्धचन्द्राकार है।
  • सतपुड़ा पर्वत श्रेणी के अंतर्गत महादेव पर्वत श्रेणी पर मध्य प्रदेश की सबसे ऊँची चोटी धूपगढ़ है। इसकी ऊंचाई 1350  मीटर है।
  • मैकल पर्वत श्रेणी की सर्वोच्च चोटी अमरकंटक की पहाड़ी है जिसकी ऊंचाई 1048  मीटर है। अमरकंटक पर्वतमाला छोटा नागपुर के पठार तक विस्तृत है।
  • पूर्वी पठार या बघेलखण्ड का पठार प्रदेश के उत्तर पूर्व में स्थित सीधी शहडोल वाला भाग है। छत्तीसगढ़ के पृथक होने के बाद इस पठार का पूर्वी भाग छत्तीसगढ़ में चला गया है। इस पठार की औसत ऊंचाई 1500 मीटर है। यहाँ के प्रमुख जिले  सीधी, सिंगरौली, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, तथा डिंडोरी
  • राजस्थान में अवस्थित अरावली पर्वत श्रृंखला का कुछ भाग मालवा पठार के उत्तर-पश्चिम तक विस्तृत है। अरावली की सर्वोच्च चोटी गुरुशिखर राजस्थान के माउंट आबू में है।
  • मध्य प्रदेश की जलवायु भारतीय जलवायु का प्रतिरूप है अर्थात उष्ण कटिबंधीय मानसूनी जलवायु
  • मध्य प्रदेश के पांच जलवायु प्रक्षेत्र है - उत्तर का मैदान (अधिक गर्म, अधिक ठंडा), सतपुड़ा का पर्वतीय क्षेत्र (साधारण गर्म, साधारण ठंडा), नर्मदा घाटी क्षेत्र (अधिक गर्म, साधारण ठंडा), मालवा पठार (कम गर्म, कम ठंडा), बघेलखण्ड का पठारी क्षेत्र (अधिक गर्म, साधारण ठंडा)। 
  • अमरकंटक एवं पचमढ़ी सतपुड़ा जलवायु प्रक्षेत्र में आते हैं।  
  • मध्यप्रदेश में ग्वालियर में सर्वाधिक तापमान दर्ज किया जाता है। लेकिन विगत वर्षों से बड़वानी में प्रदेश का सर्वाधिक औसत तापमान दर्ज किया जाता है।
  • मध्यप्रदेश में न्यूनतम तापमान शिवपुरी में दर्ज किया जाता है।
  • मध्यप्रदेश में एक स्थान के रूप में सर्वाधिक गर्म क्षेत्र गंजबासौद (विदिशा) को माना जाता है।
  • मध्यप्रदेश में मार्च में दैनिक तापान्तर सर्वाधिक होता है। एवं सितम्बर-अक्टूबर के समय प्रदेश में द्वितीय ऋतु पड़ती है।
  • मध्यप्रदेश में वर्षा का सामान्य औसत 1026.40 मिलीमीटर है। प्रदेश में सर्वाधिक वर्षा बंगाल की खाड़ी शाखा से होती है।
  • मध्यप्रदेश की जलविभाजक रेखा 75 सेंटीमीटर है जो सीधी-जबलपुर-सिवनी से गुजराती है।
  • मध्यप्रदेश में वर्ष विषमता ज्यादा है। पूर्वी मध्यप्रदेश में 15 प्रतिशत एवं पश्चिमी मध्यप्रदेश में 20-25 प्रतिशत विषमता है।
  • मध्यप्रदेश में सर्वाधिक वर्षा पचमढ़ी में 199 सेंटीमीटर होती है। एवं एक क्षेत्र के रूप में सर्वाधिक वर्षा मंडला-बालाघाट क्षेत्र में होती है।
  • मध्यप्रदेश में सबसे कम वर्षा वाला जिला भिंड है यहाँ वर्षा 55 सेंटीमीटर होती है।
  • मध्य प्रदेश को चार वर्षा के क्षेत्रों में बांटा गया है- 
    • सबसे कम वर्षा का क्षेत्र - पश्चिमी मध्यप्रदेश (75 सेंटीमीटर से कम )
    • औसत से कम वर्षा का क्षेत्र - मध्य जिले (75 -100 सेंटीमीटर)
    • औसत से अधिक वर्षा वाला क्षेत्र - उत्तरी मध्यप्रदेश (100 -125 सेंटीमीटर)
    • अधिक वर्षा वाला क्षेत्र - प्रदेश के पूर्वी जिले - छिंदवाड़ा, बालाघाट,मंडला (140 -165 सेंटीमीटर)         
  • मध्यप्रदेश में सर्वाधिक काली मिटटी पायी जाती है। इस मिट्टी में लोहा एवं चूना ज्यादा मात्रा में होता है। लोहे के कारण यह काली होती है एवं चूना के कारण इसमें आर्द्रता ग्रहण करने की क्षमता ज्यादा होती है। काली मिट्टी को रेगुर या कपासी मिट्टी भी कहते हैं।
  • मध्य प्रदेश में दूसरी सर्वाधिक मिट्टी लाल-पीली मिट्टी है। फेरिक ऑक्साइड के जलयोजन के कारण रंग पीला एवं लोहे के ऑक्सीकरण के कारण लाल रंग होता है। इसकी उर्वरता कम होती है एवं बुंदेलखंड तथा बघेलखण्ड में यह मिट्टी पायी जाती है।
  • मध्यप्रदेश में जलोढ़ मिट्टी उत्तर पश्चिम जिलों जैसे- भिंड,मुरैना,शिवपुरी,ग्वालियर में पायी जाती है। इसका निर्माण चम्बल के निक्षेपों एवं बुंदेलखंड की नीस चट्टानों के अपरदन से होता है। यह क्षारीय प्रकृति की मिट्टी है इसमें नाइट्रोजन एवं फास्फेट की कमी होती है। जलोढ़ मिट्टी को एल्यूवियल, दोमट एवं कॉप मिट्टी भी कहा जाता है। यह मिट्टी उदासीन प्रकृति की होती है।
  • मध्यप्रदेश में लैटराइट मिट्टी (चाय मिट्टी) छिंदवाड़ा, बालाघाट के 70 प्रतिशत भाग में पायी जाती है। इस मिट्टी का निर्माण लाल चट्टानों के टूटने से होता है। इस मिट्टी में नाइट्रोजन, पोटाश एवं चूना की कमी होती है। यह अनुपजाऊ है। इस मिट्टी में मोटा अनाज उगाया जा सकता है।
  • मध्य प्रदेश में बुंदेलखंड के कुछ भाग में बलुई मिट्टी भी पायी जाती है। यह रेत एवं बालू से मिश्रित होती है। इसका निर्माण नीस एवं ग्रेनाइट चट्टानों के टूटने से बनती है। इस मिट्टी की प्रमुख फसलें ज्वर,बाजरा,एवं मोटे अनाज हैं।
  • भारत में सर्वाधिक वनाच्छादित राज्य मध्यप्रदेश है (77414 वर्ग किमी)। इसके बाद दूसरे स्थान पर अरुणाचल प्रदेश, तीसरा छत्तीसगढ़ है। एवं देश के कुल वन क्षेत्र में मध्यप्रदेश के वन क्षेत्र का प्रतिशत 10.9% है।
  • मध्य प्रदेश में वनवृत्त 16 है एवं वन वृत्त का प्रमुख अधिकारी वन संरक्षक होता है।
  • मध्य प्रदेश के सबसे बड़े तीन वनवृत्त- खंडवा, जबलपुर, रीवा है।
  • मध्य प्रदेश के तीन सबसे छोटे वन वृत्त है- होशंगाबाद, इंदौर, बैतूल। 
  • सर्वाधिक आरक्षित वन खंडवा वनवृत्त में एवं सर्वाधिक संरक्षित वन छतरपुर में है।
  • प्रदेश में वनवृत्त को वनमंडलों में विभाजित किया गया है। इसका प्रमुख अधिकारी वनमंडलाधिकारी होता है। प्रदेश में कुल 62 वनमंडल हैं ।
  • मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा वनमंडल मंडला है जो जबलपुर वनवृत्त के अंतर्गत आता है।
  • मध्यप्रदेश में सर्वाधिक वन आवरण वाला जिला बालाघाट है एवं न्यूनतम वन आवरण वाला जिला उज्जैन है।
  • मध्यप्रदेश में उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन मालवा, निमाड़, एवं दक्षिणी एवं मध्य जिलों में पाए जाते हैं। यहाँ औसत वर्षा 50 से 100 सेमी के बीच होती है। जैसे- जबलपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, बैतूल, छतरपुर आदि। प्रमुख वृक्ष सागौन, शीशम, नीम, पीपल
  • मध्यप्रदेश में अर्द्धपर्णपाती वन पूर्वी भाग में पाए जाते हैं। जहाँ औसत वर्षा 100 से 150 सेमी के बीच होती है। प्रमुख जिले- सीधी, शहडोल, मंडला, बालाघाट , अनूपपुर आदि। प्रमुख वृक्ष साल,सागौन,बांस। 
  • मध्यप्रदेश में उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन उत्तरी जिलों जैसे- श्योपुर, शिवपुरी, रतलाम, मंदसौर, दतिया आदि। जहाँ पर औसत वर्षा 25 से 75 सेमी रहती है। प्रमुख वृक्ष बबूल, तेंदू, हल्दू । 
  • मध्यप्रदेश में संरक्षित वन कुल वन का 32.8 प्रतिशत हैं। इन वनों में पशुचारण प्रतिबंधित है एवं लकड़ी की कटाई केवल लाइसेंस के जरिये की जा सकती है।
  • मध्य प्रदेश में आरक्षित वन कुल वनों का 65.7 प्रतिशत है। इन वनों में शासन का पूर्ण नियंत्रण होता है एवं लकड़ी काटना तथा पशुचारण  पूर्णतः प्रतिबंधित है।