मगध राज्य का उत्कर्ष


  • बिम्बिसार ने 544 ईसा पूर्व से 492 ईसा पूर्व तक लगभग 52 वर्षों तक मगध का शासक रहा। इसके काल में मगध ने एक विशिष्ट राज्य के रूप में स्थान प्राप्त किया।
  • बिम्बिसार हर्यक वंश का था एवं गौतम बुद्ध के समकालीन था।
  • बिम्बिसार ने राज्य विस्तार की नीति का अनुसरण करते हुए अंग देश को जीता एवं अपने पुत्र अजातशत्रु को दे दिया।
  • बिम्बिसार ने वैवाहिक संबंधों के माध्यम से भी अपनी स्थिति को मजबूत बनाया। इसने तीन विवाह किये - प्रथम पत्नी महाकोसला जो कोसल नरेश प्रसेनजित की बहन थी, दूसरी पत्नी चेल्लणा जो वैशाली नरेश चेतक की पुत्री थी एवं तीसरी पत्नी क्षेमा जो मद्र देश की राजकुमारी थी।
  • मगध के शासक बिम्बिसार का सबसे बड़ी शत्रुता अवन्ति से थी यहाँ का शासक चंडप्रद्योत था। दोनों में युद्ध भी हुआ लेकिन बाद में दोस्ती हो गयी। चंडप्रद्योत को पीलिया होने पर बिम्बिसार ने राजवैद्य जीवक को उज्जैन भेजा था।
  • बिम्बिसार की हत्या कर अजातशत्रु मगध की गद्दी पर बैठा। इसने भी राज्य विस्तार की आक्रामक नीति का अनुसरण करते हुए विभिन्न लड़ाईयां लड़ी, प्रमुख रूप से काशी एवं कोसल के गुट का मुकाबला करते हुए जीत हासिल की।
  • कोसल नरेश को अंत में विवश होकर अपनी पुत्री का विवाह अजातशत्रु से करना पड़ा एवं काशी राज्य देकर अजातशत्रु से सुलह की।
  • अजातशत्रु ने वैशाली पर भी हमला किया क्यूंकि वैशाली की कोसल के साथ मित्रता थी। वैशाली को जीतने में 16 वर्षों का समय लगा एवं युद्ध में सफल इसलिए हुआ क्यूंकि अजातशत्रु के पास पत्थर फेंकने वाला युद्ध यन्त्र था तथा एक ऐसा रथ था जिसमें गदा जैसा हथियार जुड़ा था इससे लोगों को बड़ी संख्या में मारा जा सकता था।
  • अजातशत्रु के प्रतिद्वंदियों में सबसे अधिक शक्तिशाली शासक अवन्ति थे। अवन्ति ने मगध में हमले की धमकी भी दी लेकिन अजातशत्रु के काल में संभव नहीं हो पाया।
  • अजातशत्रु के बाद उसका पुत्र उदायिन मगध में आसीन हुआ। इसने पटना में गंगा एवं सोन के संगम में एक किले का निर्माण करवाया क्यूंकि यह क्षेत्र सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था।
मगध में शिशुनाग वंश :-
  • उदायिन के बाद मगध में शिशुनाग वंश की स्थापना हुयी। इन्होने राजधानी वैशाली को बनाया।
  • शिशुनाग शासकों की सबसे बड़ी उपलब्धि अवन्ति की शक्ति को उखाड़ फेंकना एवं मगध में शामिल करना था।
मगध में नन्द वंश :-
  • शिशुनाग वंश के बाद मगध में नन्द वंश का शासन रहा। नन्द शासक मगध के सबसे शक्तिशाली शासक हुए। नंदों के काल में ही सिकंदर की पूर्व की और बढ़ने की हिम्मत नहीं हुयी।
  • महापद्मनंद के काल में नंदों ने कलिंग को जीतकर मगध में मिलाया एवं विजय स्मारक के रूप में जिन की मूर्ति ले आये थे।
  • महापद्मनंद ने एकराट की उपाधि धारण की थी।
  • नन्द शासक अत्यंत धनी एवं शक्तिशाली थे, इनके पास विशाल सेना थी एवं सेना के रखरखाव हेतु प्रभावी कर संग्रह प्रणाली थी। 
  • बाद के नन्द शासक दुर्बल एवं अलोकप्रिय सिद्ध हुए जिसके कारण मगध में नंदों को परास्त करके मौर्यों ने अपनी सत्ता मगध में स्थापित की।